Onion Farming: भारतीय व्यंजन में सब्जी का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है बिना सब्जी के लोग खाना तक नहीं खाते हैं। और इस सब्जी में सबसे महत्वपूर्ण स्थान प्याज का होता है। क्योंकि इसका उपयोग सभी लोग अच्छे स्वास्थ्य के लिए और पाचन तंत्र के लिए करते हैं। इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन और विटामिन भी पाए जाते हैं।
इसके अलावा प्याज में औषधि गुण की एक श्रृंखला भी पाई जाती है। जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होती है। और शरीर को सेहत बनाने में भी काफी फायदेमंद होते हैं। इसका उपयोग सलाद अचार और अलग-अलग सब्जियों में की जाती है। भारत में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार इत्यादि राज्यों में सबसे ज्यादा पिया की खेती की जाती है।
Onion Farming
अगर आप भी पिया की खेती करना चाहते हैं तो इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होना बहुत ही जरूरी है। तभी जाकर आप अच्छी खेती कर सकते हैं और ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं। क्योंकि इसकी अच्छी खेती करने के लिए आपको अच्छी भूमिका चुनाव करना बहुत ही जरूरी है। जिसमें नामी धर्म क्षमता और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर दोनों से चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। और सबसे खास बात है कि इसका पीएच मान 6 से 7 के बीच होनी चाहिए। और इसमें जल निकासी की पूरी साधन होनी चाहिए तभी जाकर आप अच्छा प्याज की खेती कर सकते हैं।
आज के समय में किसान बहुत ही अच्छे से इसकी खेती करते हैं। क्योंकि इसमें काफी ज्यादा मुनाफा होता है। साल में एक बार प्याज की कीमत इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि किसानों को काफी ज्यादा मुनाफा हो जाता है और पूरे साल की कमाई इस समय हो जाती है।

प्याज रोकने का सही समय
प्याज एक खरीफ का फसल है इसलिए इसका रोपाई में से जून महीने में किया जाता है। मगर अलग-अलग राज्य में इसका समय अलग-अलग हो सकता है। जिसके बारे में बताया जाता है कि महाराष्ट्र गुजरात में यह में से जून महीने में बुवाई कर ली जाती है। और इसकी कटाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच में की जाती है। वहीं तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इसकी बुवाई मार्च से अप्रैल में ही कर ली जाती है एवं जुलाई से अगस्त तक किसी कटाई हो जाती है। कहीं कहीं पर प्याज रबी की फसल के साथ भी बोया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में सितंबर से अक्टूबर के बीच में बोया जाता है एवं जून जुलाई में इसे काट ली जाती है।
प्याज उगाने के लिए विभिन्न तरीका
प्याज को कई प्रकार से उगाया जा सकता है:-
- पहला तरीका यह है कि हरे प्याज के उत्पादन के लिए छोटी-छोटी कंदिकाएं को उगाना होगा।
- दूसरी विधि है की नर्सरी में बीच की बुवाई कर्मों के खेत में रोपाई करें।
- तीसरी बेटी है कि प्रसारण अथवा सीधी बुवाई का तरीका अपनाए।
प्याज के विभिन्न किस्म
नासिक लाल प्याज (एन-53), रॉयल सेलेक्शन प्याज, जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), प्रेमा 178 प्याज, गुलमोहर प्याज, नासिक लाल प्याज (एन-53), रॉयल सेलेक्शन प्याज, जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), प्रेमा 178 प्याज, नासिक लाल प्याज (एन-53), गुलमोहर प्याज, लक्ष्मी प्याज के बीज डायमंड सुपर, रॉयल सेलेक्शन प्याज, नासिक लाल प्याज (एन-53), गुलमोहर प्याज, जेएससी नासिक लाल प्याज (एन-53), रॉयल सेलेक्शन प्याज, लक्ष्मी प्याज के बीज डायमंड सुपर।
प्याज की बीज दर
प्याज अच्छे से बोने के लिए आपको एक एकड़ खेत में करीब 4 से 5 किलो बीच का आवश्यकता हो सकता है। इतना अगर आप बीज होते हैं तो पूरे खेत में अच्छे से प्याज उगेगा।
प्याज की बुवाई कैसे करें
- प्याज की बुवाई की प्रक्रिया सबसे पहले बीजों की बुवाई का तार में करें।
- केयारी को 5 से 7 मीटर की दूरी एवं 1 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाए।
- इसके बाद गोबर की खाद वर्मी कंपोस्ट खाद से पूरी तरह से बीजों को ढक दें।
- इसके बाद थोड़ी सी सिंचाई जरूर करें।
- सिंचाई के लिए स्पीकर या ड्रिप प्रणाली का तरीका अपनाएं।
- आवश्यक नमी और तापमान बनाए रखने के लिए नर्सरी बेड को धन और गाने के पावल से ढक दें।
- तेरी आंखों में पोषण तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दे तो बुवाई के 10 दिन बाद 0.1 ।
- किलोग्राम प्रति वेट के हिसाब से 15:15:15 अनुपात का प्रयोग करें।
- अंकुरण होने के बाद गली घास या फूल को हटा दें।
प्याज की खेती तैयार करें
- प्याज की खेती के लिए खेत तैयार करने के लिए सबसे अच्छा है कि एक बार जुताई कर ले।
- उसके बाद 10 टन गोबर की खाद डालें।
- फिर से आपको एक बार जुताई करना होगा।
- प्रत्येक नाली 1 से 2 मीटर चौड़ी और 4 से 6 मीटर लंबी होनी चाहिए।
- आप प्रत्येक नाली में क्यारियां बना दे।
- दो खिलाड़ियों के बीच 45 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
- ध्यान रखें की रोपाई से पहले क्यारियां की सिंचाई जरूर करें।
हरे प्याज के उत्पादन के लिए छोटी-छोटी कंदिकाएं उगाना
- सबसे पहले रोपण के लिए पिछली सीजन में उगाई गई प्याज की किस्म की छोटी-छोटी प्याज के कांड को ले।
- उसके बाद मिट्टी के प्रकार के आधार पर ऊंची कियारियां या समतल के कियारियां तैयार करें।
- एक वर्ग मीटर क्यारी के लिए 15 ग्राम बीच की आवश्यकता होती है यानी कुल नर्सरी क्षेत्र के लिए 3 किलो बीच की आवश्यकता होगी।
- पौधों को अप्रैल से मई तक नर्सरी बेड में छोड़ दे जब तक कि उनका ऊपरी हिस्सा गिर ना जाए।
- इस प्रकार इन भंडारी छोटे वोल्वो द्वारा आप हरि प्याज की उगाई कर सकते हैं।
प्याज की खेती की सिंचाई प्रबंधन
अधिकांश पर शिक्षित फसल के रूप में की जाती है जहां पर सिंचाई की पूरी सुविधा होनी चाहिए। जलवायु और मिट्टी की विशेषताएं इस बात को प्रभावित करती है की कितनी बार सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है। एवं रोपाई के समय खेत में सिंचाई करना काफी जरूरी होता है। रोपाई के तीन या चार दिन बाद सिंचाई जरूर कर दें। उसके बाद आपकी मिट्टी कितनी गीली है इसके आधार पर अपने पौधे को हर 10 से 15 दिनों में पानी जरूर दें।
क्योंकि पानी की काफी आवश्यकता पड़ती है फसल काटने से 10 दिन पहले खेत की सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। ध्यान रहे की प्याज के वृद्धि और विकास होने के बाद अधिक पानी देने या कम पानी देने से भी नुकसान हो सकता है इसलिए हिसाब से पानी दे।
प्याज की फसल में लगने वाला कीट
- प्याज का मक्खी कीट
- हेड बोरर
- कटवर्म
- एरीओफाइड मकड़ी
- लाल मकड़ी / रेड स्पाइडर माईट
खरपतवार प्रबंधन
खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए रोपाई के 45 दिन बाद ऑक्सीफ्लोरोफैंस एक एकड़ किधर से डालें इसके बाद आपके हाथों से निराई भी करना पड़ेगा।